प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल की कार्यशाला: व्यापारी कल्याण बोर्ड बनाने की मांग, चार जून के बाद आंदोलन का ऐलान

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हल्द्वानी। प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड की कार्यशाला में व्यापारियों ने उपेक्षा पर प्रदेश सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की। साथ ही 4 जून के बाद प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी। वहीं व्यापारी कल्याण बोर्ड बनाने समेत कई मांगें उठाईं। कार्यशाला में 19 संगठनात्मक जिलों के जिलाध्यक्ष व जिला महामंत्रियों ने प्रतिभाग किया।
रामपुर रोड स्थित होटल में हुई कार्यशाला का शुभारंभ संगठन के प्रदेश अध्यक्ष नवीन वर्मा व अन्य पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। प्रदेश अध्यक्ष नवीन वर्मा ने कहा कि हमें अपने संगठन का स्वरूप और प्रभावी बनाने के लिए जिला संगठनों की कार्यशैली में सुधार करना जरूरी है।

उन्होंने सभी जिला कार्यकारिणी के सदस्यों को अपनी इकाइयों से लगातार संवाद करने पर बल दिया गया। जिला इकाइयों से उनके जिले की समस्याओं के समाधान के लिए जिला अध्यक्ष व महामंत्री को सुझाव दिया गया कि वे अपनी कार्यकारिणी, जिला प्रभारी और अपने जिलों के प्रदेश पदाधिकारियों का सहयोग लें। इस दौरान व्यापारी कल्याण बोर्ड उत्तराखंड में बनाने, आपदा में व्यापारी को राहत का पात्र बनाने, सरकारी योजनाओं से विस्थापित होने वाले सभी व्यापारियों का उचित विस्थापन, व्यावसायिक प्रतिपूर्ति राशि, मुआवजा, सब्सिडी युक्त लोन देने आदि विषयों पर लोकसभा चुनाव बाद निर्णायक वार्ता करने का निर्णय लिया गया।

संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष प्रमोद गोयल ने कहा कि संगठन की नगर इकाइयों संख्या बढ़ाकर 450 से अधिक की जानी हैं। संगठन के गढ़वाल प्रभारी सुरेश बिष्ट व कुमाऊं प्रभारी अश्वनी छावड़ा ने जिला कार्यकारिणियों से कर्मठता से काम करने का आह्वान किया। संचालन जिला महामंत्री नैनीताल हर्षवर्धन पांडे, जिलाध्यक्ष नैनीताल विपिन गुप्ता व प्रदेश महामंत्री प्रकाश चन्द्र मिश्रा ने किया। इस दौरान राजेश अग्रवाल, एनसी तिवारी, दिनेश पंत, चंद्रशेखर पंत, नवनीत राणा, रूपेंद्र नागर, शांति जीना, मदन फर्त्याल, हितेंद्र भसीन, दिगंबर वर्मा, उर्वशी बोरा समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
कार्यशाला में जिला संगठन का विस्तार कैसे किया जाए इस पर चर्चा हुई। नगर कार्यकारिणी की चुनाव प्रक्रिया पर विचार विमर्श किया गया।


चुनाव का प्रारूप पूरे प्रदेश में एक तरह किए जाने पर जोर दिया गया। कहा गया कि व्यापार मित्र के गठन के बाद क्रियान्वयन किया जाना चाहिए।

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