कोरोना वायरस के म्यूटेशन ने एक ही राज्य में 47 दफा स्वरूप बदला, विशेषज्ञों ने कहा- सावधानी न बरती तो खतरनाक हो सकती है तीसरी लहर

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दिल्ली। कोरोना वायरस के म्यूटेशन को लेकर एक और चौंकान्ने वाला खुलासा हुआ है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि एक ही राज्य में कोरोना का वायरस 47 बार अपना स्वरुप बदल चुका है। जबकि बाकी राज्यों की स्थिति इससे भी अधिक गंभीर हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सावधानी नहीं बरती तो तीसरी लहर और भी अधिक घातक हो सकती है क्योंकि वायरस में म्यूटेशन तेजी से हो रहे हैं।
अकेले महाराष्ट्र पर ही अध्ययन में जानकारी मिली कि तीन महीने के दौरान वहां अलग अलग जिलों के लोगों में नए-नए वैरिएंट की भरमार है। वैज्ञानिकों को अंदेशा यह भी है कि प्लाज्मा, रेमडेसिविर और स्टेरॉयड युक्त दवाओं के जमकर हुए इस्तेमाल की वजह से म्यूटेशन को बढ़ावा मिला है। इसीलिए दूसरे राज्यों में भी सिक्वेसिंग को बढ़ाने की जरूरत है।
पुणे स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नई दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के इस संयुक्त अध्ययन में महाराष्ट्र की जिलेवार स्थिति को शामिल किया है क्योंकि देश में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण का असर पिछले एक साल में इसी राज्य में सबसे ज्यादा है। एनआईवी से डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया कि महाराष्ट्र में बीते फरवरी माह से ही वायरस के एस प्रोटीन में सबसे अधिक म्यूटेशन देखने को मिले हैं। एक-एक म्यूटेशन के बारे में जानकारी ली जा रही है।
इनमें से कई म्यूटेशन के बारे में हमें पहले से जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि वायरस में लगातार होते म्यूटेशन और संक्रमण के बढ़ने से एक गंभीर स्थिति का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। वहीं एनसीडीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बी.1.617 वैरिएंट अब तक 54 देशों में मिल चुका है। इसी के एक अन्य म्यूटेशन को डेल्टा वैरिएंट नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दिया है। हालांकि भारत में दूसरी लहर के दौरान स्थानीय स्तर पर हो रहे म्यूटेशन को लेकर और अधिक जीनोम सिक्वेसिंग की आवश्यकता है ताकि गंभीर म्यूटेशन (वीओसी) का पता चल सके।
इस साल कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई थी जहां जनवरी माह में ही कई जिलों में संक्रमण के मामले बढ़ने लगे थे। नवंबर 2020 से 31 मार्च 2021 तक 733 सैंपल को एकत्रित कर जीनोम सिक्वेसिंग की गई ताकि पता चले कि वायरस के कौन कौन से वैरिएंट फैल रहे हैं? हैरानी तब हुई जब वैज्ञानिकों ने एक के बाद एक सभी सैंपल में 47 बार वायरस के म्यूटेशन देखे। इससे पहले देश में कभी ऐसा देखने को नहीं मिला। हालांकि इटली, फ्रांस, यूके और अमेरिका को देखते हुए इसका अंदेशा जरूर था। 733 में से 598 सैंपल की सिक्वेसिंग में जब वैज्ञानिकों को कामयाबी मिली तो पता चला कि इसमें डेल्टा वैरिएंट के अलावा भी बहुत से वैरिएंट महाराष्ट्र के लोगों में फैल रहे हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच चुके हैं।

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