भारत में समग्र स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता

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 भारत में समग्र स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता

स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं जटिल सेवाएं

हरिशंकर सिंह

देहरादून , स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण किसी भी व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएं हैं लेकिन हमारी सरकार और समाज दोनों ही इन तथ्यों की अनदेखी कर रहे हैं जो कोविड-19 महामारी के बीच उजागर हुए हैं। अन्य सेवाओं के विपरीत, स्वास्थ्य सेवाएं जटिल सेवाएं हैं जिनमें कई अंतर्निहित कारक होते हैं जो आमतौर पर आम आंखों और दिमाग के लिए संज्ञेय नहीं होते हैं। यह विचार डाॅ. बी. के. एस. संजय ने देहरादून के राजपुर रोड, जाखन में स्थित संजय आर्थोपीडिक, स्पाइन एंड मेटरनिटी सेंटर में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर आयोजित वेबिनार के दौरान व्यक्त किए।
आर्थोपीडिक सर्जन डाॅ. गौरव संजय ने कहा कि लोकतंत्र में हमारे सभी नागरिकों की गहरी मानसिकता जुड़ी है इसीलिए शायद वे कई परामर्श लेना पसंद करते हैं। रोगी और उनके परिजनों को अकसर लगता है कि किसी पक्ष में या सर्जरी या एक सलाह के खिालाप बहुमत वोट उन्हें मार्गदर्शन के लिए बेहतर है। लेकिन आमतौर पर यह सच नहीं है। हर कोई चाहे वह रोगी हो, रिश्तेदार हो या खुद डाॅक्टर भी संक्रमण से डरते हंै, और इसीलिए वह लंबे समय तक और अत्यधिक एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करने का एक बहाना लेते हंै। आजकल रोगी इतना उत्साहित और अज्ञानी हंै कि वे उच्च शक्ति एंटीबायोटिक दवाओं की मांग करते हैं चाहे उन्हें इसकी जरूरत भी न हो। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि रोगी की अपेक्षा तर्कसंगत होनी चाहिए। अगर अस्पताल में इलाज के दौरान संयोग से कुछ भी गलत हो जाता है तो मृतक व्यक्ति के परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों को सच्चाई समझनी चाहिए कि मनुष्य अमर नहीं है।
पद्म श्री प्राप्तकर्ता डाॅ. बी. के. एस. संजय ने कहा कि किसी भी डाॅक्टर और/या किसी भी पैथी में यह मुद्दा नहीं होना चाहिए कि कौन डाॅक्टर और कौन सी पैथी दूसरे अन्य डाॅक्टरों या पैथी से अच्छे हैं बल्कि हर किसी डाॅक्टर और हर किसी पैथी या हर कोई स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कर्मचारी का लक्ष्य देश की स्वास्थ्य सेवाओं के उत्थान के लिए हर संभव प्रयास होना चाहिए। सभी पैथियों को एक-दूसरे के साथ टकराव करने के बजाय एक-दूसरे के लिए समानार्थ काम करना चाहिए।

आर्थोपीडिक सर्जन होने के नाते मैं सड़क यातायात दुर्घटना का एक उदाहरण उद्धृत करना चाहूँगा जिसमें 2 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, तीसरे की अस्पताल ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई, चैथा अस्पताल में भर्ती हो गया और मौत हो गई और एक घायल हो गया। ऐसे परिदृश्य में परिवार और दोस्तों को समझना चाहिए कि उपचार का परिणाम दुर्घटना की गंभीरता, अस्पताल में उपलब्ध सुविधाएं, रोगी की आर्थिक स्थिति और निश्चित ही सर्जन के कौशल पर निर्भर करता है। हमारे देश में हर मामले में कम से कम एक कारक मौजूद है या कुछ समय तो एक से अधिक कारक भी होते हैं। डाॅक्टरों के साथ मारपीट करने और अस्पतालों की संपत्तियों की तोड़फोड़ करने का भावनात्मक फैसला लेने से पहले मित्र और परिजन इन कारकों के बारे में कभी नहीं सोचते हैं। यदि इन सबके बारे में सोचें तो इस तरह की घटनाएं अपने आप घट जाएंगी।

डाॅ. बी. के. एस. संजय ने बताया कि यह व्यवहार अकसर स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ताओं के साथ-साथ अस्पतालों के मालिकों को भी एक बुरे सपने की तरह हो रहा है। यह देखा गया है कि बर्बरता की घटनाओं को देखते हुए बहुत से लोग अपने भविष्य के रूप में चिकित्सा पेशे का चयन करने के लिए रूचि नहीं रखते हैं। अधिकारियों एवं राजनेताओं से अपील करना चाहता हूँ कि वे डाॅक्टरों के साथ मारपीट करने और अस्पतालों की संपत्तियों की तोड़फोड़ करने के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही करने की व्यवस्था करें और इसे दृढ़ता से लागू करें, अगर जल्द ही ऐसा न किया गया तो हमारे देश में भविष्य में स्वास्थ्य सेवाओं को पूरा करने के लिए गंभीर समस्याएं होगी।

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