देहरादून। हरिद्वार नगर निगम द्वारा सराय में भूमि खरीद प्रकरण में अनियमितता के मामले में उत्तराखंड सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर दोषी पाए गए चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है, जबकि एक कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और एक अन्य अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इस मामले ने प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं।
नगर आयुक्त, हरिद्वार द्वारा दी गई आख्या में प्रथमदृष्टया गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। इसके बाद प्रकरण की विस्तृत जांच के लिए रणवीर सिंह चौहान, सचिव, गन्ना चीनी, उत्तराखंड शासन को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। जांच में पाया गया कि भूमि खरीद के लिए गठित समिति के सदस्यों—रवींद्र कुमार दयाल (प्रभारी सहायक नगर आयुक्त), आनंद सिंह मिश्रवाण (प्रभारी अधिशासी अभियंता), लक्ष्मीकांत भट्ट (कर एवं राजस्व अधीक्षक), और दिनेश चंद्र कांडपाल (अवर अभियंता)—ने अपने दायित्वों का समुचित निर्वहन नहीं किया। इन सभी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
इसके अतिरिक्त, सेवा विस्तार पर कार्यरत सेवानिवृत्त संपत्ति लिपिक वेदपाल की संलिप्तता पाई गई। उनका सेवा विस्तार समाप्त कर अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम, हरिद्वार से स्पष्टीकरण तलब किया गया है।
यह कार्रवाई मुख्यमंत्री धामी के भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाती है। सरकार ने स्पष्ट किया कि जनता के हितों के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। जांच अधिकारी को प्रकरण की गहन जांच कर जल्द रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। इस घटना ने हरिद्वार नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, और स्थानीय लोग पारदर्शी प्रशासन की मांग कर रहे हैं।






