हल्द्वानी। भाकपा माले के राज्यव्यापी प्रतिरोध दिवस के तहत लालकुआं तहसील पर नैनीताल से लेकर पूरे राज्य में आए दिन हो रही महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगाए जाने, महिला उत्पीड़न की घटनाओं में पीड़िता को त्वरित न्याय के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करने, हर घटना का सांप्रदायिक विभाजन और नफरत के लिए इस्तेमाल करने के खिलाफ, महिला उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगाने में राज्य सरकार की नाकामी और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए खुले तौर पर उत्तराखण्ड सरकार को जिम्मेदार ठहराया। माले ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस्तीफे की मांग की। प्रदर्शन के बाद राज्यपाल को ज्ञापन भेजा गया।
प्रदर्शन में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन ‘ऐपवा’ संयोजक विमला रौथाण ने कहा कि, नैनीताल की घटना ने उत्तराखण्ड राज्य में महिलाओं- युवतियों- बच्चियों की सुरक्षा के सवाल को एक बार फिर सामने ला दिया है। राज्य में लगातार यौन हिंसा और महिला उत्पीड़न की घटनाएं हो रही हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं। बीते अप्रैल के महीने में ही देखें तो जौनसार में एक युवती के साथ सरकारी शिक्षक द्वारा दुष्कर्म और फिर पंचायत के माध्यम से मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की गयी। पता चला कि आरोपी पूर्व में भी ऐसी घटनाओं को अंजाम दे कर उन्हे रफा-दफा करवा चुका है। उधमसिंह नगर जिले में तो चलते टेम्पो में महिला से दुष्कर्म का मामला सामने आया। इसी जिले में सातवीं कक्षा के छात्रा के साथ दुष्कर्म का मामला भी सामने आया। इसी तरह की दर्जनों घटनाएं अप्रैल के महीने में ही प्रदेश में हुई, जिसमें पिता द्वारा पुत्री के साथ दुष्कर्म से लेकर अधेड़ उम्र की महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले तक सामने आ रहे हैं। इस पर रोक लगाए जाने के लिए सरकार को हरसंभव प्रयास करने चाहिए।
भाकपा माले नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, जिस राज्य के निर्माण से लेकर हर संघर्ष में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, उसमें आए दिन महिलाओं के विरुद्ध यौन हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। स्पष्ट तौर पर यह उत्तराखंड की भाजपा की पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार की नाकामी है। यह अत्यंत खेदजनक है कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा हर उस मौके का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए लाभ उठाने की कोशिश करते हैं, जिसमें दुष्कर्म का आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय का हो। वे महिलाओं के विरुद्ध यौन हिंसा के अन्य मामलों में खामोशी बरतते हैं, लेकिन जहां मामले को सांप्रदायिक बनाने की गुंजाइश हो, वहाँ पर ही बोलते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसे मामलों में हिंसा और घृणा फैलाने की खुली छूट सांप्रदायिक तत्वों को दे दी जाती है और पुलिस व प्रशासन भी उनके सामने असहाय नज़र आता है।
आइसा जिलाध्यक्ष धीरज कुमार ने कहा कि, राज्य में जिस तरह से छोटी छोटी बच्चियों से बलात्कार की घटनाएं सामने आ रही हैं वह बहुत ही दुःखद और क्षोभजनक है। राज्य सरकार महिला सुरक्षा में पूरी तरह असफल है। अंकिता को इसी सरकार के राज में अभी तक न्याय नहीं मिला है, बल्कि अंकिता के अपराधियों को बचाने के लिए इस सरकार ने पूरा जोर लगा दिया। साथ ही यह सरकार सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने में तुली हुई है।
प्रदर्शन में डा कैलाश पाण्डेय, बहादुर सिंह जंगी, विमला रौथाण, धीरज कुमार, ललित जोशी, निर्मला शाही, अंबा दत्त बचखेती, गोविंदी देवी, मेहरुन खातून, शिखा, पूनम, खीम सिंह वर्मा आदि शामिल रहे।






