देहरादून। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर कम होने के बाद लोग अब पहाड का रुख कर रहे है। उत्तराखंड सरकार की शर्तो को देखते हुए कोरोना जांच कराने के बजाए फजीॅ रिपोर्ट का सहारा ले रहे हैं। पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा से पर्यटक कोविड जांच की निगेटिव फर्जी रिपोर्ट लेकर उत्तराखंड घूमने आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड सीमा पर आशारोड़ी चेकपोस्ट पर हर दिन मामले पकड़े जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 35 फर्जी रिपोर्ट पकड़ी हैं। एक दिन पहले भी मसूरी घूमने आए गाजियाबाद के दस लोग सहित 13 व्यक्तियों की रिपोर्ट फर्जी निकली थी। इन पर पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज किया था।
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को देखते हुए राज्य सरकार ने पर्यटकों के लिए आरटी-पीसीआर की 72 घंटे की निगेटिव रिपोर्ट की अनिवार्यता की हुई है। दूसरे राज्यों से आने वाले पर्यटकों को सीमा पर कोविड निगेटिव रिपोर्ट दिखाकर ही प्रवेश दिया जा रहा है। रिपोर्ट नहीं होने पर जांच की जा रही है और निगेटिव रिपोर्ट आने पर ही प्रवेश दिया जा रहा है। पर इनमें कई लोग फर्जी कोरोना जांच रिपोर्ट लेकर यहां घूमने आ रहे हैं।
मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि किसी भी रिपोर्ट में तीन आइडी होती हैं, जिनमें आइसीएमआर आइडी, एसआरएफ (सैंपल रेफरल फार्म) आइडी और रोगी की आइडी शामिल है। न तो इन आइडी में फेरबदल किया जा सकता है और न ही टेस्ट के परिणाम में। जितनी भी रिपोर्ट अभी तक पकड़ी गई हैं, वह कंप्यूटर पर एडिट की गई हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रत्येक रिपोर्ट पर एक क्यूआर कोड भी होता है। रिपोर्ट की जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम क्यूआर कोड भी स्कैन कर रही है। जिसमें मूल डाटा सामने आ जा रहा है। वीकेंड पर इस तरह के मामले ज्यादा आ रहे हैं। टीम मुस्तैदी के साथ हरेक रिपोर्ट सत्यापित कर रही है।
कोरोना की फर्जी रिपोर्ट जारी करने के मामले में क्लेमेनटाउन थाना पुलिस लैब के खिलाफ कार्रवाई करेगी। बुधवार को गाजियाबाद का रहने वाला युवक तरुण मित्तल अपने साथियों के साथ मसूरी घूमने के लिए आ रहा था। आशारोड़ी चेकपोस्ट पर आरटी-पीसीआर रिपोर्ट मांगी गई। बार कोड स्कैन करने पर पता लगा कि रिपोर्ट किसी अन्य व्यक्ति की थी। पुलिस ने तरुण मित्तल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उससे पूछताछ की। जिसमें पता चला कि रिपोर्ट वह गाजियाबाद की एक लैब से लेकर आया है।
एसओ धर्मेंद्र रौतेला ने बताया कि लैब के खिलाफ साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर फर्जी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट मामले में अमित गुप्ता निवासी केवी नगर गाजियाबाद, अमित कौशिक निवासी नेहरू नगर गाजियाबाद व सुजीत कुमार निवासी बनगावा लोहकी बिहार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि जून की रिपोर्ट को स्कैन कर जुलाई की रिपोर्ट बना दी।