हल्द्वानी। उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में चल रहे भू कानून संबंधी आंदोलन के बाद कांग्रेस ने प्रदेश में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने भू-कानून पर प्रदेश की भाजपा सरकार से उत्तराखण्ड भू कानून में दृष्टिकोण स्पष्ट करने की माँग की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता नए भू अधिकार कानून की मांग कर रही है। जबकि प्रदेश सरकार इसमें चुप्पी साधी हुई है। यह प्रदेश की जनता का दुर्भाग्य है कि तीन-तीन मुख्यमंत्री बनने के बाद भी सरकार भू कानून पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट नहीं कर पाई है।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के गठन के पश्चात वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में भू कानून लागू किया था। इस कानून के तहत उत्तराखंड से बाहर के रहने वाले किसी भी व्यक्ति को सिर्फ 500 वर्ग मीटर यानी ढाई नाली जमीन ही खरीदने की अनुमति थी। वर्ष 2007 में इसमें संशोधन कर सीमा को घटाकर 250 वर्ग मीटर यानी सवा नाली कर दिया गया था। इतना ही नहीं यह भी निर्धारित किया गया कि जुलाई 12 सितंबर 2003 के बाद के बाद यदि किसी के पास भी उत्तराखंड में भूमि नाम पर नही है तो वह कृषि भूमि नही खरीद सकेगा। लेकिन 06 अक्टूबर 2018 में भाजपा
सरकार ने जमीदारी विनाश एवं भू सुधार अधिनियम 1950 की धारा 143 और 154 में संशोधन करते हुए नई व्यवस्था के तहत राज्य में औद्योगिक इकाई लगाने के नाम पर उत्तराखंड से बाहर के व्यक्ति को जमीन खरीदने की खुली छूट दे दी गई। औद्योगिक इकाई लगाने के नाम पर जमीन खरीदने वाले ऐसे व्यक्ति को कृषि भूमि खरीदने की भी खुली छूट दे दी गई। उस कृषि भूमि को स्वतः ही अकृषि मान लिया गया। अब राज्य की जनता फिर से भू अधिकार कानून को लेकर मुखर होने लगी है। भाजपा के तीसरे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी भू कानून को लेकर सरकार का दृष्टिकोण स्पष्ट करें कि क्या 2018 में भाजपा सरकार ने उत्तराखण्ड की जमीन को बेचने की खुली छूट दी क्या उसे वापस लेगी सरकार।