दिल्ली। उत्तराखंड कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही 2022 के विधानसभा चुनाव में सत्ता पाने के लिए कई लोगों को जिम्मेदारी दी गई है। चार कार्यकारी अध्यक्षों को लेकर जहां विधायक हरीश धामी के बगावती सुर है, वहीं महिलाओं को स्थान न मिलने से महिला नेता नाराज है। अब सबसे बङा चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत के मुख्यमंत्री का चेहरे को लेकर विवाद शुरू हो गया है। प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के एकसमान के बाद कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी को सामने आना पङा है।
प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के बयान पर कुछ ही घंटों में प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव ने ब्रेक लगा दिया है। अध्यक्ष बनने के बाद गोदियाल का पहला बयान यही आया था कि कांग्रेस उत्तराखंड में हरीश रावत के चेहरे पर चुनावी लड़ेगी। जबकि नए नेता प्रतिपक्ष बने प्रीतम सिंह ने इसके उलट कहा था कि सोनिया-राहुल गांधी के चेहरे पर पार्टी सामूहिक नेतृत्व में विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। ऐसे में चेहेरे को लेकर पहले ही दिन प्रदेश अध्यक्ष और सीएलपी नेता आमने-सामने आ गए तो हालात संभालने को प्रदेश प्रभारी को बीच में कूदना पड़ा है।
देवेंद्र यादव ने कहा है कि नि:संदेह हरीश रावत पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं लेकिन पार्टी विधानसभा चुनाव सामूहिक नेतृत्व में एकजुट होकर लड़ेगी और सत्ता में आने पर चुने गए विधायक और पार्टी फैसला लेगी कि सीएम का चेहरा कौन होगा।
ज्ञात हो कि दो दिन पहले पार्टी ने बाइस बैटल के लिए ‘टीम उत्तराखंड’ का ऐलान करते हुए हरीश रावत को कैंपेन कमेटी की कमान, प्रीतम को सीएलपी नेता और गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।
जाहिर है देवेन्द्र यादव का बयान गणेश गोदियाल और प्रीतम सिंह के अलग-अलग सुर नजर आने के बाद पटाक्षेप के तौर पर आया है। अब सवाल यही है कि क्या कांग्रेस के मिशन 2022 के लिए बनी ‘टीम उत्तराखंड’ आपसी बयानबाज़ी से जल्द उबर पाएगी या प्रभारी के बयान के बाद नए सिरे से हरदा और प्रीतम कैंप वार-पलटवार की रणनीति बनाएंगे।