गाजियाबाद। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के लिए अधिगृहीत की गई जमीन के मुआवजे का एक और गोलमाल सामने आया है। 2005 में मर चुकी डासना निवासी सुगरा की जमीन का मुआवजा उसकी कल्लूगढ़ी निवासी हमनाम सुगरा नामक महिला ने 2015 में उठाया। फर्जी दस्तावेज पेश करके उसने और उसके साथ कुछ लोगों ने अफसरों की आंखों में धूल झोंक दी थी।
डासना की सुगरा के बेटे ने शिकायत पर की गई जांच में यह राज खुला। अब कल्लूगढ़ी की सुगरा से 26.94 लाख की वसूली की जाएगी। एडीएम भू-अर्जन श्याम अवध चौहान ने इसके लिए नोटिस जारी कर दिया है। चेतावनी दी गई है कि रकम न लौटाई तो रिकवरी सर्टिफिटेक (आरसी) जारी कर दी जाएगी।
कल्लूगढ़ी की सुगरा और डासना की सुगरा दोनों के पति का नाम शौकत है। दोनों के पति की मौत हो चुकी थी। डासना की सुगरा ने मुआवजे पर अपना हक जताते हुए प्रार्थना पत्र दे दिया। उसे डासना देहात की 4300 वर्ग मीटर के मुआवजे का भुगतान कर दिया गया। इसका पता जब डासना की सुगरा के बेटे यामीन को चला उसके पैरो तले जमीन खिसक गई क्योंकि उसका हक किसी ने छीन लिया था। उसने फरवरी 2021 में डीएम से शिकायत की। जांच हुई तो सच्चाई सामने आ गई।
जमीन के असली मालिक सुगरा के बेटे यामीन का कहना है कि उन्हें इस बात का तब पता चला जब 2021 में उन्होंने खतौनी निकलवाई। उनकी खतौनी में 644 वर्गमीटर जमीन एनएचएआई के नाम दर्ज पाई गई, जबकि उन्होंने मुआवजा उठाया ही नहीं था। हालांकि एनएचएआई ने अभी तक जमीन पर कब्जा भी नहीं लिया है और उस पर अभी भी वह खेती कर रहे हैं। यामीन का आरोप है कि यह फर्जीवाड़ा करने वाले लोग पहले भी ऐसा कर चुके हैं। जिला प्रशासन के एक अधिकारी के कार्यालय में तैनात एक बाबू फर्जीवाड़ा करने वालों को संरक्षण दे रहा है।