हरिशंकर सैनी
हरिद्वार ,पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड अशोक कुमार, पुलिस महानिरीक्षक कुम्भ मेला संजय गुंज्याल, आयुक्त गढ़वाल रवि नाथ रमन, मेलाधिकारी दीपक रावत कुम्भ मेला एवं जनपद हरिद्वार के पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों द्वारा आगामी शाही स्नान पर्वों की ड्यूटी में नियुक्त पुलिस/अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारी-कर्मचारिगण की ब्रीफिंग की गई।
ये ब्रीफिंग भल्ला कॉलेज स्टेडियम में बनी मुख्य कुम्भ मेला पुलिस लाइन के बने वाटरप्रूफ हैंगर में की गई।
ब्रीफिंग के शुरुआत में सुरजीत सिंह पंवार, अपर पुलिस अधीक्षक कुम्भ मेला के द्वारा ब्रीफिंग की शुरुआत की गई और अंत तक मंच संचालन किया।
सर्वप्रथम ब्रीफिंग में एसएसपी हरिद्वार सैंथिल अबुदई कृष्ण राज एस के द्वारा उपस्थित पुलिस बल को सम्बोधित करते हुए कहा गया कि मेला के कोर एरिया के अंदर जितने भी वाहन और पैदल आने-जाने के मार्ग हैं उन्हें मेले से पूर्व पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त कर लिया जाए ताकि मेले के दिन श्रद्धालुओं और शाही स्नान के अखाड़ो के जुलूस को आवागमन में कोई बाधा न आये। सभी जोनल और सेक्टर पुलिस ऑफिसर अपने-अपने क्षेत्र मजिस्ट्रेटों के साथ ये कार्यवाही करेंगे।
मुकेश ठाकुर अपर पुलिस अधीक्षक संचार द्वारा आपसी संपर्क के लिए स्थापित की रेडियो ग्रिड व्यवस्था के बारे में सबको विस्तार से समझाया गया और कहा गया कि ग्रिड का इस्तेमाल मेला से सम्बंधित जरूरी बातचीत के लिए ही करे, अनावश्यक की बातचीत करके ग्रिड व्यवस्था को व्यस्त न रखें। आपस मे संपर्क के लिए मोबाइल से ज्यादा वायर लैस सेट पर निर्भरता रखें क्योंकि अत्यधिक भीड़ आने के बाद मोबाइल नेटवर्क सही से कार्य नही करेंगे।
श्री जन्मजेय खंडूरी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुम्भ मेला 2021 हरिद्वार के द्वारा कहा गया कि ये ब्रीफिंग इस कुम्भ की सबसे महत्वपूर्ण और फाइनल ब्रीफिंग है, जिसमे हमारे द्वारा अब तक की गई सभी तैयारियों के बारे मे विमर्श होगा। एसएसपी कुम्भ द्वारा उपस्थित पुलिस बल को कहा गया कि इस बारे पूर्व कुम्भों की तुलना में पुलिस बल कम आया है इसलिए हम सभी को अपना 100% देने की बजाय 120% देना होगा ताकि कुम्भ सकुशल सम्पन्न हो सके। इस बार सभी ड्यूटीरत पुलिस बलों को अपने अपने बल के उदघोष वाक्य को सार्थक सिद्ध करके दिखाना होगा।
ड्यूटी करते समय अधिकारियों के आदेश-निर्देशों के पालन करने के साथ साथ अपने विवेक का भी प्रयोग करके मानवीय पुलिसिंग भी करनी है। सन्दिग्ध व्यक्तियों के सम्बंध में होटल, धर्मशालाओं, लॉज आदि की लगातार चेकिंग करते रहें। अपने-अपने क्षेत्रों में नियमित रूप से संदिग्ध वस्तु के लिए एन्टी सेबोटाज टीम और डॉग स्क्वाड टीम से चेकिंग फ्रीस्किंग करवाते रहें।
सभी सेक्टर एक दूसरे के साथ सहायक बन कर आपस मे तालमेल बैठाते हुए मेला ड्यूटी करेंगें ताकि पूरी व्यवस्था अच्छे से चलती रहे। लोगों को पार्किंग के नजदीक बने घाटों पर अधिक से अधिक स्नान करने के लिए प्रेरित करें। मेले का ट्रैफिक प्लान अच्छे समझ लें। ट्रैफिक जहाँ खत्म होगा वहीं से भीड़ प्रबंधन की कार्यवाही शुरू हो जाती है इसलिए दोनो व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही करें।
दीपक रावत मेला अधिकारी द्वारा ब्रीफ किया गया कि हरिद्वार का स्नान बेहद सीमित क्षेत्र में होता है इसलिए एक एक इंच स्थान की बेहद उपयोगिता है और अतिक्रमण हमारी व्यवस्था को बाधित करता है। मेले के दौरान भीड़ प्रबंधन का यह मतलब नही होता कि हर चीज को बांध दिया जाए, बल्कि भीड़ के प्राकृतिक फ्लो को सही दिशा में उसके गंतव्य तक भेजना होता है। इसके अलावा मेले के दौरान आपातकालीन वाहनों, आवश्यक सेवा एवं वस्तुओं सम्बंधित वाहनों की आवाजाही बनी रहनी चाहिए ताकि आपूर्ति में कोई कमी न आने पाए। प्रशासनिक मार्ग प्रत्येक दशा में खाली रखें। व्यवस्थाओं को लागू करते हुए श्रद्धालुओ के साथ दृढ़ तो रहना है परन्तुं अपनी विनम्रता बनाये रखनी है। गर्मी काफी होगी और ड्यूटी भी लंबी होगी इसलिए इसे ड्यूटी मानकर नही सेवा मानकर करें, क्योंकि कुम्भ की ड्यूटी के लिए अधिकारी/कर्मचारी कोई और नही स्वयँ महादेव चुनते हैं।
अगले क्रम में आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन के द्वारा निर्देशित किया गया कि कोरोना काल मे यह दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन किया जा रहा है इसलिए अपने आपको दृढ़प्रतिज्ञ और पूर्ण रूप से समर्पित रखते हुए ड्यूटी को अंजाम देना है। साधु संतों, श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों के साथ विनम्र व्यवहार करते हुए व्यवस्था बनानी है। इसके अलावा खुद को भी कोरोना संक्रमण से बचाना है और लोगों को भी कोविड की गाइड लाइन का पालन करने के प्रेरित करना है।
इसके बाद आईजी कुम्भ संजय गुंज्याल द्वारा बताया गया कि आने वाले शाही स्नान एक परीक्षा की तरह है जिसके लिए हम सभी लंबे समय से तैयारी करते हुए आये हैं और अब समय आ गया है कि हम अपनी भरपूर और पूर्ण तैयारियों के साथ जी जान से ये परीक्षा दें और अच्छे नम्बरों से पास हों। इसलिए सभी प्रण करें कि हम अपना सर्वश्रेष्ठ समर्पित कर आने वाले शाही स्नानों को सकुशल सम्पन्न कराएंगे। उसके लिए जरूरी है कि आप ये जान लें कि आपकी ड्यूटी कहाँ है, कब से है, क्यों हैं और आपकी ड्यूटी का क्या प्रभाव पूरी व्यवस्था पर पड़ रहा है। सक्रीय होकर ड्यूटी करें मूक दर्शक बनकर नही। मेला पुलिस के अधिकारी/जवानों की ड्यूटी में सफलता ही मेला पुलिस के उच्चाधिकारियों की सफलता होती है। कुम्भ मेला ड्यूटी में जो लोग आए हैं वो बेहद भाग्यशाली हैं क्योंकि उन्हें आने वाले श्रद्धालुओं को सकुशल स्नान कराने पर ही बिना गंगा नहाए गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त हो जाता है।
इसके बाद आईजी कुम्भ मेला ने कुम्भ मेला पुलिस के जवानों का जोश और उत्साह बढ़ाने के लिए पुलिस और कुम्भ पर स्वलिखित एक कविता सुनाई जिसमे सभी जवानों के द्वारा आईजी कुम्भ मेला का साथ दिया गया।
कविता की पंक्तियां इस प्रकार से थी:-
देवभूमि के रक्षक हैं हम, खाते है कसम कुम्भ ,
ना पलट कर हम जाएंगे , ना पलक हम झपकाएँगे ,
दिन रात एक कर , धैर्य से कर जाएंगे ।
ये राष्ट्र कुंभ, ये धर्म कुम्भ, केसरिया का ये आन – बान और शान कुंभ,
वर्दी का है अभिमान कुंभ,
ये कर्मयोगियों का पुरुषार्थ कुंभ ,
वर्दी के पसीने का हिसाब कुम्भ ,
सुरक्षा को तैयार कुम्भ ,
बलिदान का ये जिगर कुम्भ,
वर्दी का है ये , प्रणाम कुम्भ ,
स्वाभिमान से जाग्रत नए भारत का उदय कुम्भ ,
खाकी का, सलाम कुम्भ ।
आईजी कुम्भ के बाद अंत मे पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड अशोक कुमार ने अपना सम्बोधन किया और बताया कि आप सब सौभाग्यशाली में ड्यूटी करने का अवसर मिला, क्योंकि महा कुम्भ में आने के लिए लोग बरसों इंतजार करते हैं और दूर दूर से आते हैं, लेकिन आपको किस्मत से ये अवसर मिला है। आगामी दोनो शाही स्नान पर्वों में देशभर से श्रद्धालु आएंगे। हमें अपनी ड्यूटी की अच्छे से जानकारी होनी चाहिए। हमारी व्यवस्था उतनी ही मजबूत है जितना हमारी व्यवस्था का सबसे कमजोर व्यक्ति। इसलिए जरूरी है कि प्रत्येक जवान अपनी ड्यूटी और अपनी भूमिका को अच्छे से जान समझ ले। ड्यूटी में रहते हुए लोगों के सहायक बनने का कार्य भी करें, उन्हें सभी आवश्यक जानकारी जैसे: शौचालय, चिकित्सा आदि की दें ताकि आने वाले श्रद्धालुओं को कम से कम असुविधा का सामना करना पड़े। लोगों को पार्किंग के नजदीकी घाटों पर नहलाने का प्रयास करें, जितने ज्यादा से ज्यादा लोगों नजदीकी घाटों पर स्नान करेंगे उतना ही हर की पैड़ी के आसपास का घाटों पर भीड़ का दबाव कम होगा। भीड़ को जब बेहद जरूरी हो तभी चक्रव्यूह में डालें, अनावश्यक रूप से नही। किसी भी घाट, बाजार या अन्य स्थान पर ड्यूटी करते समय सतर्क रहें और परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील रहें और किसी भी खतरे की संभावना को समय रहते भाँप कर तुरंत आवश्यक कदम उठाएं।