एआरटीओ दफ्तर में दलालों का बोलबाला,वाहन स्वामी परेशान

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सितारगंज ( मुजाहिद अली )। उधमसिंह नगर एक तरफ तो सरकार भ्र्ष्टाचार पर सख्त नजर आ रही हैं तो दूसरी तरफ सरकार को एआरटीओ विभाग ठेंगा दिखाता हुआ नजर आ रहा हैं!सूत्रों की माने तो उधम सिंह नगर संभागीय कार्यालय में शायद ही कोई कार्य बिना चढ़ावा चढ़ाए हो,ये बात सौ टका सत्य है। समय समय पर विभाग में दलालों को लेकर धर पकड़ भी किया जाता है। लेकिन बेबस जनता सीधे कर्मियों के पास पहुंचती है तो उन्हें टका सा जवाब देकर भगा दिया जाता है। जिसके बाद परेशान लोग दलालों को ही अपना हमराह मानते हैं। तब चंद रुपयों की फीस का कार्य हजारों रुपये में होता है। कार्यालय के बाहर दलालों का बोलबाला है। जबकि सड़क पर नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले डग्गामार वाहन रही सही कसर पूरी कर देते हैं। यहां भी कार्रवाई के नाम खुलेआम उगाही होती है। प्रदेश के परिवहन मंत्री ना जाने कहां खो गए हैं । ऐसे में दलालों के बोलबाला का पूरा मामला साफ हो जाता है!
इस विभाग में निर्धारित फीस का नहीं है कोई महत्व, दलालों के अपने रेट हैं जिसमें लाइसेंस का ठेका तीन हजार रुपये से लेकर ऊपर कितने ही ले लेते हैं। जबकि वाहनों के पंजीकरण के नाम पर भी अलग अलग अपने द्वारा रेट तय किये हुए हैं मनमानी फीस पर कार्य कराने वाले दलाल लोगों को फंसाने में भी कोई कमी नहीं छोड़ते हैं।ये दलाल अधिकारियों के संरक्षण का ही नतीजा हैं। प्रतिदिन कार्यालय में आने वाले लोग इन दलालों द्वारा खुलेआम ठगे जा रहे हैं।जनपद उधम सिंह नगर में आरटीओ कार्यालय के बाहर व अंदर ऐसा ही नजारा नजर आता है। कार्यालय के बाहर दलालों का बोलबाला है,दलालों की भीड़ समूह के रूप में नजर आती है।उपसंभागीय परिवहन कार्यालय के बाहर सड़क के दोनों तरफ अपनी गाड़ियों पर बैठे हैं दलाल चांदी काट रहे हैं।चंद रुपयों का कार्य मोटी कीमत में होता है! यहां कई दर्जन दलाल बैठे हुए हैं नजर आ सकते हैं। सूत्रों की माने तो पूरे जिले से आते हैं । कार्यालय में मौजूद अधिकारी भी इन दलालों के माध्यम से आने वाली फाइलों को ही अपना कार्य समझते हैं।लेकिन एआरटीओ विभाग के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाते हैं तो वह इस बड़ी कार्यवाही करने को कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं तो जिलाधिकारी महोदय को भी चाहिए कि ऐसे दलालों के खिलाफ एक अभियान चलाकर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल में लाएं ताकि जनता को अपने काम कराने में परेशानी ना उठानी पढ़े तथा सरकार का इकबाल भी बुलंद रहें।

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