नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने अंतरिम आदेश में हल्द्वानी के गौलापार में अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (आईएसबीटी) बनाने के मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। शीर्ष कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार, वन विभाग, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय और संबंधित डीएम को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है।
जस्टिस बी.आर. गवई और संदीप मेहता की पीठ ने हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी की ओर से दाखिल अपील पर विचार करते हुए यह आदेश दिया है। पीठ ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में अपना-अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अधिवक्ता पीबी सुरेश व अन्य के माध्यम से दाखिल अपील में याचिकाकर्ता ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के 23 अगस्त, 2023 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनकी जनहित याचिका खारिज करते हुए राज्य सरकार द्वारा आईएसबीटी बनाने के लिए निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। याचिका ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले आईएसबीटी निर्माण गौलापार में करने निर्णय लिया था, वन भूमि का चयनित कर ली गई। वन भूमि का चयन इस आधार पर किया गया था कि चयनित भूमि पर आईएसबीटी के अलावा कोई अन्य निर्माण नहीं किया जा सकेगा।
याचिकाकर्ता ने बताया गया कि राज्य सरकार ने बाद में गौलापार के बजाय हल्द्वानी के तीन पानी में आईएसबीटी के निर्माण करने का फैसला किया। आईएसबीटी निर्माण के लिए चयनित भूमि से 2700 पेड़ भी काट दिए। बावजूद इसके गौलापार में आईएसबीटी का निर्माण नहीं किया जा रहा है। याचिका में शीर्ष अदालत को बताया गया कि गौलापार में आईएसबीटी का निर्माण, तीन पानी के मुकाबले काफी कम लागत में किया जा रहा था।