मूल निवास और भू-कानून को लेकर उक्रांद की देहरादून में तांडव रैली: त्रिवेंद्र पंवार

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*** जगमोहन रौतेला **

हल्द्वानी। उत्तराखंड क्रान्ति दल के संरक्षक त्रिवेंद्र पंवार ने कहा कि भाजपा की बहरी, भू कानून और मूल निवास विरोधी सरकार को जगाने के लिए आगामी 24 अक्टूबर को उत्तराखंड क्रांति दल देहरादून में तांडव रैली करने जा रहा है। जिसमें हजारों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ता और दूसरे संगठनों के लोग मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे।
पंवार ने पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि राज्य बनने के 24 साल बाद भी यहां मूल निवास और उत्तराखंड का भू कानून न बनाना भाजपा और कांग्रेस के राजनीतिक नियत पर सवाल खड़े करता है। इन दोनों ही दलों ने पिछले ढाई दशक में उत्तराखंड के मूल निवासियों के साथ छल और कपट की राजनीति की है। मूल निवास और भू कानून उत्तराखंड के लोगों का कानूनी अधिकार है। उत्तराखंड क्रांति दल यहां के लोगों के इन अधिकारों को लागू करवाने के लिए अब आर-पार की लड़ाई लड़ेगा।
उत्तराखंड क्रांति दल के संरक्षक त्रिवेंद्र पंवार ने कहा कि उत्तराखंड बनने से पहले उत्तर प्रदेश के समय यहां के लोगों को मूल निवास प्रमाण पत्र जारी किया जाता था। राज्य बनने के बाद भाजपा की अंतरिम सरकार ने एक राजनीतिक षड्यंत्र के तहत मूल निवास प्रमाण पत्र की बाध्यता को खत्म कर स्थाई निवास में बदल दिया। पंवार ने कहा कि उसमें 15 साल से यहां रह रहे लोगों को भी मूल निवासियों के बराबर ही अधिकार दे दिए गए। जिसकी वजह से आज यहां जनसंख्या का सामाजिक और आर्थिक असंतुलन पैदा हो रहा है। जो यहां के मूल निवासियों के लिए ठीक नहीं है। उनके हर तरह के अधिकारों पर उत्तराखंड मूल के बाहर के लोग कब्जा जमा रहे हैं।


पंवार ने आरोप लगाया कि भाजपा, कांग्रेस जिस भी व्यक्ति को राज्य का मुख्यमंत्री बनाती है, वह दिल्ली के इशारों पर नाचता है। उसे राज्य के सरोकारों और यहां के मूल निवासियों के अधिकारों के संरक्षण से कोई मतलब नहीं होता। उसे किसी न किसी तरीके से अपनी कुर्सी बचानी होती है।
उत्तराखंड क्रांति दल के संरक्षक पंवार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के उसे प्रावधान को बेहद खतरनाक बताया, जिसमें उत्तराखंड में एक साल से रह रहे व्यक्ति के ऊपर भी कानून लागू होने की बात कही गई है। पंवार ने कहा कि यूसीसी का यह प्रावधान पूरी तरह से यहां के मूल निवासियों की पहचान को खत्म करने का एक सोचा- समझा राजनीतिक षड्यंत्र है। जो भाजपा नेतृत्व के इशारे पर शामिल किया गया है। यूसीसी के इस प्रावधान के राज्य में लागू होने पर यहां के मूल निवासियों की पहचान हमेशा के लिए कानूनी तौर पर खत्म हो जाएगी। उन्होंने भाजपा सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इस प्रावधान तो खत्म नहीं किया गया तो उत्तराखंड क्रांति दल एक बड़ा आंदोलन करेगा।
पंवार ने उत्तराखंड में मूल निवास प्रमाण पत्र के प्रावधान को फिर से लागू करने और उत्तराखंड के मूल निवासियों के अधिकारों को संरक्षित करने वाले भू कानून को बनाने की मांग की। उन्होंने गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थाई राजधानी घोषित करने की भी मांग की। इससे मौके पर उत्तराखंड में क्रांति दल के कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश भट्ट, पार्टी के संस्थापक सदस्य खड़क सिंह बगड़वाल, वरिष्ठ नेता भुवन जोशी , महामंत्री सुशील उनियाल, जिला अध्यक्ष राकेश चौहान, बची सिंह बिष्ट, मोहन कांडपाल, जगमोहन रौतेला, रवि वाल्मीकि, मदन सिंह मेर, पीसी जोशी, देवी शर्मा, प्रताप सिंह चौहान, हरीश जोशी, काजल रावत, कंचन जोशी, कैप्टन एमसी तिवारी, हरेंद्र शर्मा आदि मौजूद थे।

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