मुख्यमंत्री की एक हज़ार की सम्मान राशि की घोषणा से आशा कार्यकर्ता नाराज, धरना जारी

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हल्द्वानी। दो अगस्त से चल रही आशा वर्कर्स की हड़ताल राज्य में आशाओं को मासिक वेतन, पेंशन और आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा
देने समेत बारह सूत्रीय मांगों को लेकर चल रही है। हड़ताल के 17 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन राज्य सरकार के मुख्यमंत्री इधर उधर की बातें करके मन बहलाव कर रहे हैं।
हड़ताल के सत्रहवें दिन ऐक्टू से सम्बद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन द्वारा कहा गया कि, “उत्तराखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री रक्षाबंधन पर आशाओं को एक हजार की सम्मान निधि देने की बात कर रहे हैं लेकिन 17 दिनों से हड़ताल कर रही आशाओं को मासिक वेतन देने पर एक शब्द भी नहीं बोल रहे हैं। यह आंदोलन कर रही आशाओं का मजाक उड़ाने जैसा है।”
यूनियन ने कहा कि, “उत्तराखण्ड की राज्य सरकार को चाहिये था कि लंबे समय से शोषण की शिकार हो रही आशाएँ का शोषण खत्म करने की ओर बढ़े। लेकिन सरकार इसके ठीक उलट कभी प्रोत्साहन राशि कभी सम्मान राशि के नाम पर छलने की कोशिशें कर रही हैं। परंतु इस बार आशा वर्कर किसी भी छलावे में नहीं आने वाली हैं। इसलिए सम्मान राशि का झुनझुना नहीं तत्काल आशाओं के मासिक वेतन पर निर्णय करे सरकार।”
सत्रहवें दिन के धरने में आज भगवती बिष्ट, दीपा बिष्ट, अनुराधा, शांति शर्मा, दीपा बहुगुणा, रीना बाला,मार्था, बीना उपाध्याय, गीता, बीना, पुष्पा, बिमला, यास्मीन, मीना, पुष्पा आदि समेत बड़ी संख्या में आशाएँ शामिल थीं।

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