बिरला विद्या निकेतन के प्रांगण में  सांस्कृतिक वार्षिकोत्सव बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

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दिल्ली,बिरला विद्या निकेतन के प्रांगण में  सांस्कृतिक वार्षिकोत्सव बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। 800 से अधिक विद्यार्थियों द्वारा मंच पर आत्मविश्वास से भरपूर प्रस्तुति देते देख अभिभावकों का हृदय अभिभूत हो उठा । इस भव्य आयोजन में यिदान पुरस्कार से सम्मानित, डॉ. रुक्मणी बनर्जी (सीईओ, प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन) माननीय मुख्य अतिथि, प्रबंधन समीति के सदस्य, मीडियाकर्मी, पूर्व विद्यार्थी और दिल्ली और एनसीआर के अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। श्री डेसमंड डेमोंटे, श्रीमती रंजना जोशी और श्रीमती अनु नरूला (पूर्व वाइस प्रिंसिपल, बी. वी. एन.) का सम्मानित अतिथि के रूप में स्वागत किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत गीत ‘अभिनंदन’ के साथ हुई, जिसके बाद छात्र परिषद द्वारा गाए गए स्कूल गीत, प्राणगीत की मधुर प्रस्तुति के साथ औपचारिक दीप प्रज्ज्वलित किया गया। इसके बाद, बी.वी.एन. के मंजे हुए संगीतकारों ने आकर्षक रैप बैटल और बीट बॉक्सिंग के साथ माहौल को संगीतमय बना दिया। पूर्व और पश्चिम के जादू को आपस में गुँथते हुए, ऑर्केस्ट्रा ने दर्शकों पर मधुर व प्रभावशाली छाप छोड़ी। नवरस- रस और जीवन के बीच तालमेल की खोज करने वाले नृत्य नाटिका (तीन खंडों बोधिसत्व, अशोक और द्रौपदी में विभाजित) को दर्शकों द्वारा विशेष रूप से सराहा गया । प्रगति – स्कूल के विभिन्न सदनों द्वारा मानवाधिकारों और नवाचारों को दर्शाने वाली एक प्रदर्शनी, समारोह का प्रमुख आकर्षण थी।
मुख्य अतिथि डॉ रुक्मणी बनर्जी ने विद्यार्थियों की उनके अतुलनीय प्रदर्शन के लिए सराहना की और कहा कि विद्यार्थियों के लिए अपनी क्षमताओं के प्रदर्शन हेतु वार्षिकोत्सव जैसे आयोजनों का होना नितांत अनिवार्य है क्योंकि इन आरंभिक वर्षों में ही विद्यार्थियों के जीवन के आत्मविश्वास की आधारशिला रखी जाती है और इसमें विद्यालय के साथ साथ माता पिता का भी विशेष योगदान रहता है। डॉ रुक्मणी बनर्जी ने अभिभावकों व विद्यालय की उनके उत्साहवर्धक कार्यों के लिए विशेष की सराहना की।
प्रधानाचार्या श्रीमती मीनाक्षी कुशवाहा ने स्कूल की शैक्षणिक और सह-पाठयक्रम उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए स्कूल की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने उन विद्यार्थियों और शिक्षकों को बधाई दी जिनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने स्कूल का नाम रोशन किया है। तालियों की गड़गड़ाहट और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का संपादन हुआ।

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