गोपेश्वर। जोशीमठ-मलारी हाईवे पर सीमा सड़क संगठन की शिवालिक परियोजना की ओर से रैणी में वैली ब्रिज निर्माण के लिए बाढ़ का मलबा हटाकर चट्टान की कटिंग की जा रही है। वहीं, ऋषिगंगा नदी के दोनों ओर भी जेसीबी मशीनें लगाकर कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। बीते दो दिनों में 100 मीटर अप्रोच रोड काट दी गई है। वहीं, दूसरी ओर पुल बह जाने के बाद गांवों का संपर्क कट गया है। गांवों को जोड़ने के लिए आइटीबीपी के जवान ट्रॉली लगाने में मदद कर रहे हैं। इसका उपयोग ब्रिज के एक तरफ से दूसरी तरफ राशन पहुंचाने के लिए किया जाएगा।
आपदा में चीन सीमा से भारत को जोड़ने वाला पुल बह जाने के बाद 13 सीमांत गांवों का संपर्क कट गया है। इसके बाद से गांवों को जोड़ने के लिए वैली ब्रिज बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। बीती मंगलवार को रैणी में वैली ब्रिज निर्माण के लिए ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट में आया मलबा हटाकर चट्टानी क्षेत्र को काटने का कार्य शुरू कर दिया गया था। जोशीमठ की ओर दो दिनों में 100 मीटर क्षेत्र में अप्रोच रोड की कटिंग कर दी गई है। जबकि, दूसरे छोर पर भी अप्रोच रोड का निर्माण किया जा रहा है। यह कार्य शिवालिक परियोजना के चीफ इंजीनियर आशु सिंह राठौर ने बताया कि जोशीमठ की ओर जिस जगह ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट था, वहां 250 मीटर अप्रोच रोड बनने के बाद पुल निर्माण किया जाएगा। पुल निर्माण को युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है।
आपदा में रैणी पुल के अलावा रिंगी और भंग्यूल पुल भी बह गया था। इसके बाद क्षेत्र के ग्रामीण गांवों में ही कैद होकर रह गए हैं। लोक निर्माण विभाग की ओर से इन गांवों को अन्य क्षेत्रों से जोड़ने के लिए तीन स्थानों पर ट्रॉली लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। गोपेश्वर, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग व गुप्तकाशी डिविजनों से चार ट्रॉलियां तपोवन पहुंचाई गई हैं। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता धन सिंह रावत ने बताया कि तीन स्थानों पर ट्रॉलियां लगनी हैं। एक अतिरिक्त ट्रॉली तपोवन में रखी गई है। उन्होंने बताया कि ट्रॉली लगाने में 40 से अधिक मजदूर और कर्मचारी लगाए गए हैं। लोक निर्माण विभाग का लक्ष्य है कि 15 फरवरी तक तीनों स्थानों पर ट्रॉलियां लगा दी जाए।