50 हजार की रिश्वत पड़ गई महंगी, जूनियर इंजीनियर को तीन साल का कारावास

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देहरादून। विशेष न्यायालय, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजली नौलियाल की अदालत ने लोकायुक्त कार्यालय के अधिकारी को रिश्वत देने के आरोपित कनिष्ठ अभियंता को दोषी करार देते हुए तीन वर्ष की सजा सुनाई है। साथ ही 50 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है।

19 मार्च 2012 को लोकायुक्त कार्यालय के जांच अधिकारी मान सिंह रावत ने शिकायत दर्ज कराई थी कि वह अनियमितता के संबंध में एक प्रकरण की जांच कर रहे थे। टिहरी गढ़वाल में लघु सिंचाई विभाग के कनिष्ठ अभियंता जयप्रकाश सिंह व कनिष्ठ अभियंता अनिल रतूड़ी की ओर से निर्माण कार्य में भारी अनियमितता की गई थी।
जांच को अपने पक्ष में करवाने के एवज में कनिष्ठ अभियंता जयप्रकाश सिंह ने जांच अधिकारी मान सिंह रावत पर 50 हजार रुपये रिश्वत लेने का दबाव बनाया। जांच अधिकारी ने बताया कि उन्होंने कनिष्ठ अभियंता से रिश्वत लेने से मना किया, लेकिन इसके बावजूद भी वह लगातार रिश्वत का दबाव बना रहे थे। ऐसे में उन्होंने भ्रष्ट कर्मचारी को रंगे हाथ गिरफ्तार कराने की ठानी और मामले की शिकायत विजिलेंस कार्यालय से की। विजिलेंस टीम ने ट्रैप लगाकर आरोपित जयप्रकाश सिंह को 50 हजार रुपये रिश्वत देते हुए 20 मार्च 2012 को गिरफ्तार कर उसके विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया।
सोमवार को विशेष न्यायालय विजिलेंस ने आरोपित जयप्रकाश को दोषी पाते हुए उसे तीन साल का सश्रम कारावास और 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। शासकीय अधिवक्ता अनुज साहनी एवं पैरोकार सिपाही गोपाल की ओर से केस में पैरवी की गई।
विजिलेंस के पुलिस अधीक्षक धीरेंद्र गुंज्याल ने बताया कि राज्य सरकार के अधीन कार्यरत लोक सेवक यदि रिश्वत की मांग करता है तो बिना डरे इसकी शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1064 पर करें। उन्होंने यह भी बताया कि यदि किसी कार्यालय में भ्रष्टाचार हो रहा है तो इसकी शिकायत हेल्पलाइन नंबर पर की जा सकती है, शिकायत करने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा।

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